दो खामोश आंखें – 22 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर जाकर मुझ से दूर न छीन पायीं मेरा सुकूं शायद इसलिए मुझसे दूर हो गयीं दो खामोश ऑंखें
साहित्य स्वामी हरिदास जी ने किया था अनुपम और अलौलिक रसमयी नित्यविहारोपासना के सिद्धांत का प्रतिपादन Yogendra Singh Chhonkar 22nd September 2023 0 स्वामी हरिदास जी की जयंती पर विशेष गोपाल शरण शर्मा “रसिकगोपाल” भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को जहां वृषभानु सुता की लाडली श्रीराधारानी का प्राकट्य […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 31 Yogendra Singh Chhonkar 4th March 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर मंदिर हो या कोई मजार किसी नदी का पुल हो, कटोरा किसी भिखारी का या शाहजहाँ की कब्र एक ही भाव सिक्का फैंकती है […]
साहित्य श्री हनुमान चालीसा Yogendra Singh Chhonkar 28th April 2020 0 दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । […]