(योगेंद्र सिंह छौंकर, वरिष्ठ पत्रकार)
मथुरा लोकसभा सीट के इतिहास को लेकर कुछ मिथक प्रचलित हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख यह है कि कोई विधायक यहां से सांसद नहीं बन पाया है। आज इस आलेख में हम इसी मिथक की चर्चा करते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है। ऐसा नहीं है कि विधायक रह चुके नेताओं ने कभी लोकसभा का चुनाव ही नहीं लड़ा। क्षेत्र के कई दिग्गज विधायक रह चुके नेता इसके लिए प्रयास कर चुके हैं।
विधायक जो नही बन सके सांसद
श्याम सुन्दर शर्मा (मांट क्षेत्र)
मांट विधान सभा क्षेत्र से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके श्याम सुन्दर शर्मा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया था पर जयंत चौधरी के सामने असफलता हाथ लगी थी।
चौधरी लक्ष्मी नारायण (छाता क्षेत्र)
छाता विधान सभा क्षेत्र विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण वर्ष 1991, 1996 और 2004 के चुनावों में हाथ आजमा चुके हैं पर सफलता नहीं मिल पाई। 1991 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर लड़े चौधरी लक्ष्मीनारायण को भाजपा के सच्चिदानंद साक्षी ने हराया। 1996 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े चौधरी लक्ष्मी नारायण को भाजपा के तेजवीर सिंह ने हराया। 2004 में बसपा के टिकट पर लड़े चौधरी लक्ष्मी नारायण को कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह ने हराया।
पूरन प्रकाश (गोकुल व गोवर्धन क्षेत्र)
गोवर्धन और गोकुल विधान सभा क्षेत्रों से विधानसभा का रास्ता तय करने वाले पूरन प्रकाश ने 1998 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें भाजपा के तेजवीर सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
गायत्री देवी (गोकुल क्षेत्र)
गोकुल विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहीं गायत्री देवी ने वर्ष 1984 का लोकसभा चुनाव लोकदल के टिकट पर लड़ा था पर कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
आचार्य लक्ष्मी रमण (मांट क्षेत्र)
मांट क्षेत्र से कई बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे आचार्य लक्ष्मी रमण ने वर्ष 1980 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार चौधरी दिगंबर सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
ठाकुर रामहेत सिंह (छाता क्षेत्र)
छाता विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे रामहेत सिंह ने वर्ष 1977 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था। आपातकाल के ठीक बाद हुए इस चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के उम्मीदवार मनी राम बागड़ी के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
विधायक जो बन गए सांसद
यह तो बात हुई उन विधायक रह चुके नेताओं की जो लोकसभा का रास्ता तय नहीं कर पाए। अब बात करते हैं उन नेताओं की जो मथुरा के सांसद बनने से पहले विधान सभा जा चुके थे।
प्रो. कृष्ण चंद्र
इनमें पहला नाम आता है मथुरा के प्रथम सांसद प्रोफेसर कृष्ण चंद्र का। प्रोफेसर कृष्ण चंद्र कांग्रेस के प्रतिष्ठित नेता थे, जो 1952 में मथुरा से और 1957 में जलेसर सीट से सांसद बने थे। देश की आजादी से पहले ये वृंदावन नगर पालिका के चेयरमैन भी चुने गए थे। इतना ही नहीं ये आजादी से पूर्व दो बार विधानसभा के लिए भी चुने गए थे।
मनीराम बागड़ी
आपातकाल के ठीक बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ठाकुर रामहेत सिंह को हराकर जीतने वाले जनता पार्टी के उम्मीदवार मनी राम बागड़ी हरियाणा के बड़े सोशलिस्ट नेता थे। आप जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया के अनुयाई और करीबी थे। ये 1962 और 1980 में हरियाणा के हिसार से भी लोकसभा के लिए चुने गए थे। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले ये 1952 हरियाणा की फतेहाबाद सीट से विधायक चुने गए थे।
ऐसे में इतना पढ़ने के बाद आप यह तो स्वीकार करेंगे ही कि प्रो. कृष्ण चंद्र और मनी राम बागड़ी दो ऐसे नेता हैं जो मथुरा के सांसद बनने से पहले विधानसभा का रास्ता तय कर चुके थे।
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