भरतपुर जिले से होकर बहने वाली कुकुन्द नदी का प्रवाह रोककर भरतपुर के शासकों ने एक बांध का निर्माण अंग्रेजों के समय पर कराया था। आज यह स्थान बंध बरैठा के नाम से प्रसिद्ध है। एक ओर तो यह बांध जिले के तमाम इलाकों की पेयजल आपूर्ति का एक बड़ा स्रोत है वहीं दूसरी ओर यह एक मनोरम पर्यटन स्थल है। यह एक वन्यजीव अभ्यारण्य भी है जहां दो सौ से अधिक प्रजाति के पक्षियों का आवास है।
1866 में महाराजा जसवंत सिंह ने रखी थी नींव
कुकुन्द नदी भरतपुर रियासत के बयाना क्षेत्र से होकर बहती है। महाराजा जसवंत सिंह ने बयाना से करीब तीन कोस (नौ किमी) की दूरी पर दो पहाड़ियों के बीच इसके प्रवाह को रुकवाकर इस बांध को बनवाने की शुरुआत की। महाराजा जसवंत सिंह ने वर्ष 1866 ईसवी में इसकी नींव रखी। साथ ही दो सौ वर्ग किमी का क्षेत्र वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए आरक्षित कर दिया। वर्ष 1897 ईसवी में महाराजा राम सिंह के शासनकाल में यह बांध पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। इस बांध की जलधारण क्षमता 29 फ़ीट है।
महाराजा किशन सिंह ने बनवाया बसन्त दरबार महल
बंध बरैठा में एक सुंदर भवन भी दर्शनीय है। यह भवन बसन्त दरबार महल कहलाता है। इसका निर्माण भरतपुर के महाराज किशन सिंह ने कराया था। वर्तमान में बांध और वन्यजीव अभ्यारण्य का प्रबंधन वन विभाग के अधिकार में है। वहीं बसन्त दरबार महल भरतपुर राजपरिवार की निजी संपत्ति में है।
बर्ड वॉचर्स के लिए है जन्नत
बंध बरैठा पक्षी देखने में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए जन्नत से कम नहीं है। यह कम भीड़भाड़ वाला शोरशराबे से बचा हुआ एक शांत और रमणीक स्थान है। यहां 200 से अधिक प्रजाति के पक्षी देखने को मिलते हैं। यहां ब्लैक बिटर्न भी आसानी से दिख जाता है। बांध के जल के ऊपर से उड़ते हुए रंगबिरंगे पक्षियों से यहां की शोभा बढ़ जाती है। चारों ओर की पहाड़ियों के बीच पसरा यह मैदान और विपुल जलराशि से इसकी छवि सीधे आंखों में बस जाती है।
कहां स्थित है बंध बरैठा
बंध बरैठा राजस्थान के भरतपुर जिले की बयाना तहसील में स्थित है। रियासत काल में यह भरतपुर रियासत के प्रमुख स्थानों में से एक था। मुगल काल में इसे श्रीपस्त या श्रीप्रस्थ नामों से जाना जाता था। बंध बरैठा राजधानी जयपुर से 187 किमी, फतहपुर सीकरी से 74 किमी, जिला मुख्यालय भरतपुर से 44 किमी और तहसील मुख्यालय बयाना से मात्र नौ किमी की दूरी पर है।
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