सूरजमल की महारानी किशोरी का महल

भरतपुर के किले का नाम लोहागढ़ है। महाराजा सूरजमल के बनवाये इस महल का मुख्य भाग है किशोरी महल। किशोरी महल महारानी किशोरी का निवास था। महाराजा सूरजमल के भरतपुर में रहने के दौरान शासन यहीं से संचालित होता था। अब इसे महाराजा सूरजमल स्मारक में तब्दील किया जा रहा है।

महारानी किशोरी को समर्पित था किशोरी महल

किशोरी महल की मुख्य इमारत।



महारानी किशोरी महाराजा सूरजमल की पटरानी थीं। महाराजा सूरजमल की पत्नी के तौर पर महारानी हंसिया का नाम भी आता है। प्रसिद्ध इतिहासकार उपेंद्र नाथ शर्मा की पुस्तक ‘ब्रजेन्द्र बहादुर महाराज सूरजमल’ के अनुसार किशोरी और हंसिया एक ही रानी के दो नाम हैं। महाराजा सूरजमल को ब्रजेन्द्र की उपाधि मिली थी। उसके बाद महारानी किशोरी ब्रजेन्द्रियाणी कही जाती थीं। भरतपुर के किले में यह सूरजमल का बनवाया हुआ मुख्य खण्ड था। भरतपुर प्रवास के दौरान महारानी और महाराज इसी में निवास करते थे। यह महल महाराजा सूरजमल के महारानी किशोरी के प्रति प्रेम का प्रतीक भी है। इस भवन की नींव 1726 ईसवी में रखी गई थी। 

तगरवां के रतीराम नाहरवार की पुत्री थीं महारानी किशोरी

किशोरी महल का विवरण दर्शाता शिलापट।



महारानी किशोरी भुसावर के दक्षिण-पूर्व में स्थित तगरवां के प्रभावशाली जाट सरदार रतीराम नाहरवार की पुत्री थीं। चूड़ामन की कैद से छूटने के बाद बदनसिंह ने तगरवां के पास जंगलों में जहाज ग्राम में अपना डेरा डाला था। उनका संपर्क रतीराम से हो गया। रतीराम जयपुर के महाराज सवाई जयसिंह के इजारेदार सरदार थे। बदनसिंह से मित्रता होने पर रतीराम ने अपनी पुत्री हंसिया की सगाई कुमार सूरजमल के साथ कर दी थी। थून गढ़ी के पतन के बाद सूरजमल का विवाह सम्पन्न हुआ था। इस विवाह के पश्चात रतीराम ने अपने पुत्रों बलराम, दानीराम, चैनसुख, फतहसिंह और छतर सिंह को बदन सिंह की सेवा में भेज दिया था। इनमें से बलराम नाहरवार भरतपुर राज्य के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे थे। 

लोहे की गर्डर के प्रयोग वाला पहला भवन

तत्कालीन घटनाओं को दर्शाता एक शिलालेख।



यह भवन वास्तु शास्त्र के समरांगण सूत्र के अनुसार निर्मित है। इस भवन में चार मंजिलें हैं। यह भवन दो चौक यानी आंगन वाला है। भरतपुर की सूरजमल द्वारा बनवाई इमारतों में यह सर्वाधिक नक्काशीदार है। उन दिनों सूरजमल ने वैर के किले तोप ढालने का काम शुरू कराया था। वहीं पर लोहे की गर्डर भी ढाली जाने लगीं। भरतपुर के भवनों में लोहे की गर्डर सबसे पहले इसी भवन में प्रयोग की गईं।

शासन का मुख्य केंद्र रहा था यह भवन

तत्कालीन घटनाओं को दर्शाता एक शिलालेख।



सूरजमल के शासन के दौरान किशोरी महल शासन का केंद्र था। महाराज के भरतपुर प्रवास के निवास यहीं रहता था। महारानी की भूमिका शासन के कार्यों में बेहद महत्त्वपूर्ण थी। वे कुशल रणनीतिकार थीं। महाराजा सूरजमल राजनीतिक विषयों पर उनसे सलाह किया करते थे। महारानी की रुचि धार्मिक कार्यों में भी बहुत थी।

महारानी किशोरी के नाम पर 38 स्थलों का निर्माण

किले का विवरण दर्शाता शिलालेख।


महाराजा सूरजमल ने महारानी किशोरी के नाम पर बहुत से निर्माण कराए थे। इस तरह महारानी की समर्पित भवनों की संख्या 38 है। इन भवनों में महल, मन्दिर, कुंज और बाग आदि हैं। भरतपुर, कुम्हेर, गोवर्धन, वृंदावन, नंदगांव आदि स्थानों पर ये महारानी किशोरी के ये स्मृति चिन्ह मौजूद हैं। महारानी किशोरी स्वयं बहुत धार्मिक विचारों की थीं। उन्होंने ब्रज में कई मंदिरों और कुंडों का जीर्णोद्धार कराया था। महारानी किशोरी की छतरी गोवर्धन में कुसुम सरोवर पर बनी हुई है।

दिया जा रहा सूरजमल स्मारक का स्वरूप

महाराजा सूरजमल की विशाल प्रतिमा।


किशोरी महल को अब महाराजा सूरजमल स्मारक के रूप में तब्दील कर दिया गया है। इसके सामने एक विशाल चबूतरा बनाया गया है। इस चबूतरे पर महाराजा सूरजमल की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। यहां पर शिलापट्ट लगाकर उन पर महाराजा सूरजमल के जीवन की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख किया गया है। भवन के अंदर राजस्व विभाग का दफ्तर संचालित होता है। भवन के अंदर गलियारों में कई मूर्तियां बनाई गईं हैं। ये मूर्तियां उस समय की घटनाओं को दर्शाती हैं। 

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