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(बरसाना का प्रसिद्ध वृषभानु कुंड और विहंगम जल महल) |
बरसाना के पुराने नाम के तौर पर वृषभानुपुर का उल्लेख मिलता है। वृषभानुपुर इसलिए क्योंकि राधाजी के पिता का नाम वृषभानु था। इस नगर की स्थापना उन्हीं ने की थी। इन्हीं वृषभानु जी के नाम पर एक कुंड भी है जो वृषभानु कुंड कहलाता है। राधा जी की माँ कीर्ति रानी के नाम पर भी एक कुंड है जो कीर्ति कुंड कहा जाता है। यह कीर्ति कुंड वृषभानु कुंड के ठीक बगल में हैं। इस कीर्ति कुंड की का किस्सा फिर कभी। आज का किस्सा वृषभानु कुंड का है जिसे बोलचाल की भाषा में भनोखर भी कहते हैं।
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(जल महल के जलमग्न गलियारे) |
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(जलमहल की ऊपरी मंजिल के स्तंभ और कुंड की विपुल जलराशि) |
मध्यकाल में चैतन्य महाप्रभु, बल्लभाचार्य जी और नारायण भट्टजी जैसी विभूतियों का आगमन हुआ और ब्रज का कृष्णकालीन स्वरूप अनुसंधान कर प्रकाश में लाया गया। श्री भट्टजी की लिखी पुस्तक ब्रज भक्ति विलास ब्रज की प्राचीन लीलास्थलियों के चिन्हांकन के मामले में सर्वाधिक प्रामाणिक मानी जाती है। इसी ब्रज भक्ति विलास में वृषभानु कुंड का जिक्र कुछ इस प्रकार है
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(जल महल की जलमग्न सीढियां) |
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(जल में डूबे हुए निचली मंजिल के खम्भे) |
अब सवाल आता है कि इन जलमहलों का निर्माण किसने और कब करवाया था तो जवाब है रूपराम कटारा। रूपराम कटारा ने इन जलमहलों का निर्माण कराया और इसके घाटों को पक्का करवाया। ये रूपराम कटारा भरतपुर राजदरबार में वकील, राजपुरोहित और दीवान के दर्जे पर थे। इनके बारे में अधिक जानकारी मेरी पिछली पोस्ट्स में मिल जाएगी। अब आता है दूसरा सवाल : कब?? मतलब जलमहलों का निर्माण कब हुआ। कुछ इस तरह से समझिये
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(जल महल के अंदर का सुंदर नजारा) |