दो खामोश आंखें – 4

योगेन्द्र सिंह छोंकर
तेरी हैं या
मेरी हैं
या हैंं किसी और की
किसकी हैं
ये तो खुद भी नहीं जानती
दो खामोश ऑंखें

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