दो खामोश आंखें – 10 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर अभाव के ईंधन से भूख की आग में जलते इंसानों की देख बेबसी क्यों नहीं बरसती दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 16 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर सामने रहकर न हुआ कभी जिस प्यास का अहसास उसे बुझाने दुबारा कभी मेरे पहलु में आएँगी दो खामोश ऑंखें
साहित्य श्री शिव चालीसा Yogendra Singh Chhonkar 29th April 2020 0 ।।दोहा। । श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 19 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर उमड़ते मेघ सावनी दमकती चपल दामिनी मंद शीतल बयार बारिश की फुहार कुदरत का देख रूमानी मिजाज़ क्यों नहीं मुस्कुराती दो खामोश […]
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