इस बार 11 मार्च को है बरसाना की होली
ब्रज की संस्कृति राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं को अनुभूति कराती है। यहां वर्ष भर राधा रानी और श्रीकृष्ण की लीलाओं का अनुकरण किसी न किसी रूप में त्योहार मनाकर किया जाता है। फाल्गुन का महीना ब्रज के लिए खास है। इस महीने में ब्रजमंडल के सभी प्रमुख धार्मिक स्थान मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन, गोकुल, बलदेव, रावल आदि अभी स्थान होली की मस्ती में सराबोर हो जाते हैं। यहां के सभी मंदिरों में होली के पदों का गायन होता है और अबीर-गुलाल बरसता है। जिससे यहां आने वाले पर्यटक/श्रद्धालु आस्था के उल्लास में झूम उठते हैं। ब्रज में होली के आयोजनों की शुरुआत बरसाना की होली से होती हैं बरसाना की होली को लठामार होली कहा जाता है। लठामार इसलिए क्योंकि इस होली में लठ बरसते हैं। जो एक बार बरसाना की होली देख लेता है वह हर बार यहां होली खेलने आने लगता है। अगर आप भी बरसाना में होली देखने आ रहे हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें वरना आपके होली में आनन्द के बजाय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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पहले से कर लें होटल की बुकिंग
अगर आप बरसाना की होली देखने आना चाहते हैं तो आप यहां रुकने के लिए पहले से बुकिंग करा लें। होली वाले दिन एन वक्त पर यहां रूम मिलने की कोई संभावना नहीं होती है। वैसे तो बरसाना में रुकने के लिए कई धर्मशाला, होटल और गेस्ट हाउस हैं। पर ज्यादातर बहुत छोटे-छोटे हैं। जिनमें कमरों की संख्या बहुत कम है। होली का मेला बहुत प्रसिद्ध है और राज्य सरकार ने इसे राजकीय मेले का दर्जा दिया हुआ है जिसके कारण यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे हो जाते हैं। इस कारण यहां रुकने के लिए कमरे कम पड़ जाते हैं। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप कमरे के लिए बुकिंग पहले से करा लें। अगर बरसाना में आपको रूम नहीं मिला रहा है तो आप गोवर्धन, कोसी कलां, वृंदावन या मथुरा में रूम बुक कर लें। होली का समापन शाम सात बजे होता है अगर आप दूर से आ रहे हैं तो रुकने के लिए कमरे की जरूरत तो आपको होगी ही।
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मेला क्षेत्र से बाहर पार्किंग में खड़ा करें वाहन
बरसाना एक छोटा टाउन है जहां पार्किंग की समस्या आम दिनों में भी रहती है। ऐसे में लठामार होली के दिन जब यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं उस समय पार्किंग और रोडजाम कि समस्या हो सकती है। इसी वजह से प्रशासन कोसी, छाता, गोवर्धन और कामां की तरफ से बरसाना पहुंचने के रास्तों पर बरसाना से दो-तीन किमी पहले ही पार्किंग की व्यवस्था कर देता है। प्रशासन द्वारा नियत पार्किंग में ही अपना वाहन खड़ा करें और उसके आगे पैदल या ई-रिक्शा से जाएं। कोई पहचान या सिफारिश निकाल कर वाहन अंदर ले जाने के चक्कर मे न पड़ें वरना जाम में फंस जाएंगे और अंदर जब कहीं भी पार्किंग स्पेस नहीं मिलेगा तब परेशान ही होना पड़ेगा।
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हुरियारिनों पर न डालें रंग
होली का मौका है और आप होली खेलने का मन बना कर आ रहे हैं तो आपका भी मन करेगा कि आप दूसरे लोगों को भी रंग से सराबोर कर दें। पर ऐसा करना ठीक नहीं है। अच्छा हो कि आप अपने ग्रुप के लोगों के साथ ही होली खेलें। अन्य लोगों के साथ उनकी सहमति से ही होली खेलें। जबरन किसी को रंग न लगाएं। किसी की आंखों में गुलाल बिल्कुल न फेंके। खासतौर पर इस बात का ध्यान रहे कि हुरियारिनों के ऊपर रंग न डालें। इस लठामार होली में जो महिलाएं लठामार करती हैं वे हुरियारिन कहलाती हैं। इन हुरियारिनों पर रंग या गुलाल लगाना बिल्कुल मना होता है। इसलिए इन पर रंग नहीं लगाना है अगर आपने इनको रंग लगाया तो मुसीबत में पड़ सकते हैं।
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बरसाना कैसे पहुंचें
बरसाना उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के दक्षिण में राजस्थान और हरियाणा राज्यों के बॉर्डर पर पड़ता है। राजस्थान के भरतपुर जिले की सीमा यहां से तीन किमी और हरियाणा के पलवल जिले की सीमा यहां से 25 किमी पर है।
वायु मार्ग से
बरसाना के नजदीकी हवाई अड्डा दिल्ली और आगरा में है। दिल्ली से बरसाना करीब 120 किमी है और आगरा से करीब 100 किमी दूर है।
रेल मार्ग से
बरसाना के नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन, कोसी कलां, छाता और गोवर्धन में हैं। अगर आप रेलमार्ग से आ रहे हैं तो अपनी ट्रैन के ठहराव के हिसाब से स्टेशन तय कर लें। मथुरा जंक्शन महत्त्वपूर्ण स्टेशन है क्योंकि यहां लगभग हर ट्रैन का स्टॉपेज होता है। मथुरा से बरसाना 45 किमी दूर है। कोसी कलां और छाता स्टेशन पर कम संख्या में गाड़ियां रुकती हैं। कोसी कलां बरसाना से 18 किमी दूर है। छाता बरसाना से 17 किमी दूर है पर वर्तमान में रेल ओवर ब्रिज के निर्माण के कारण यह मार्ग बंद है। इसलिए छाता स्टेशन पर उतरना अवॉयड ही करें। अलवर की ओर से मथुरा आने वालों के लिए गोवर्धन स्टेशन नजदीक पड़ेगा, अगर आप अलवर की तरफ से आ रहे हैं और आपकी ट्रैन का स्टॉपेज गोवर्धन में है तो गोवर्धन उतरिये। गोवर्धन बरसाना से 20 किमी दूर है और रास्ता भी ठीक ठाक है।
सड़क मार्ग से
अगर आप दिल्ली की ओर से आ रहे हैं तो कोसी कलां से बरसाना के लिए मुड़िये और नंदगांव होते हुए बरसाना पहुंचिए। अगर आप आगरा, अलीगढ़ आदि की तरफ से आ रहे हैं तो मथुरा पहुंचिए और वहां से गोवर्धन के रास्ते बरसाना पहुंचिए। गोवर्धन के चारों ओर बाईपास रोड बना हुआ है इसलिए सीधे बाईपास पकड़िए और बरसाना पहुंचिए। अगर आप वृंदावन में रुके हुए हैं तो छटीकरा से राधाकुंड होते हुए बरसाना पहुंचिए। अगर आप भरतपुर की तरफ से रहे हैं तो गोवर्धन के रास्ते बरसाना पहुंचिए।
साफ-सफाई का रखें खास ध्यान
बरसाना एक तीर्थस्थल है इसकी साफ सफाई और गरिमा का आप स्वयं ख्याल रखें। कोई भी गंदगी यहां न फैलाएं।
बरसाना में कहां कहां घूमें
बरसाना में घूमने लायक बहुत से स्थान हैं। यहां का राधा रानी का मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। यहां आप कुशल बिहारी मंदिर, दानगढ़, मान मन्दिर, विलासगढ़, गहवरवन परिक्रमा, वृषभानु जी मन्दिर, अष्टसखी मन्दिर, प्रिया कुंड, वृषभानु कुंड, कीर्ति मन्दिर आदि स्थानों पर घूम सकते हैं।