दो खामोश आंखें – 15

योगेन्द्र सिंह छोंकर कितना आसाँ था जिनके लिए मुझे हँसाना, रुलाना, मानना मनमर्जी चलाना क्या उतनी ही आसानी से मुझे भुला […]

error: Content is protected !!