राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ब्रज से लगाव रहा। वे कई बार यहां आए। इस वर्ष जब सारा राष्ट्र उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है तब ब्रज संस्कृति शोध संस्थान ने उनकी स्मृतियों को सहेजने का अनुपम कार्य किया है। इस अवसर पर संस्थान में एक प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें महात्मा गांधी की ब्रज यात्राओं से जुड़े प्रसंगों का प्रस्तुतिकरण किया गया है। संस्थान ने एक इसी विषय को केंद्र में रखकर एक पुस्तक भी प्रकाशित की है। अध्येता गोपाल शरण शर्मा द्वारा संपादित इस पुस्तक का शीर्षक है “गाँधीजी की ब्रज यात्राएं।”
गाँधीजी की पहली ब्रज यात्रा
भारत में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने के पहले ही वर्ष महात्मा गांधी का वृन्दावन आगमन हुआ। तारीख थी 14 अप्रैल 1915 और दिन था रविवार। इस यात्रा के दौरान गाँधीजी वृंदावन में स्थित कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थाओं में गए। महान स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप द्वारा स्थापित तकनीकी शिक्षा केन्द्र प्रेम महाविद्यालय में गाँधीजी गए। गुरुकुल, ऋषिकुल और कारेबाबू (रामकृष्ण मिशन) के पुराने भवन को घूम कर जाना। असलियत में वह वो समय था जब गाँधीजी हिंदुस्तान को नजदीक से जानने समझने की कोशिश कर रहे थे।
जब पलवल में गिरफ्तार हुए महात्मा गांधी
यह वर्ष था 1919 का। गाँधीजी 9 अप्रैल को बम्बई से दिल्ली जा रहे थे। अंग्रेज सरकार उन्हें दिल्ली पहुंचने नहीं देना चाहती थी। गाँधीजी की ट्रेन जब मथुरा पहुंची तो उन्हें गिरफ्तार करने के दिये पुलिस तैयार खड़ी थी। परंतु उस समय मथुरा जंक्शन पर बड़ी संख्या में भीड़ गाँधीजी के दर्शन करने के लिए उमड़ पड़ी। उस समय गाँधीजी की गिरफ्तारी टल गई पर थोड़ा आगे जाते ही उन्हें पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया। एक रात उन्हें वहीं स्टेशन के यार्ड में रखा गया। दूसरे दिन उन्हें एक विशेष ट्रैन से बम्बई भेज दिया गया।
मथुरा में कॉन्फ्रेंस को किया संबोधित
यह तीसरा मौका था जब गाँधीजी ब्रज में आये।तारीख थी 7 नवम्बर 1921। उस वर्ष मथुरा में दिल्ली प्रदेश की राजनीतिक कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ। गाँधीजी ने इस कॉन्फ्रेंस में ब्रजवासियों को देश सेवा में जुटने का आवाह्न किया। इस कॉन्फ्रेंस के सभापति मोतीलाल नेहरू थे। इस कॉन्फ्रेंस में मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली और डॉ अंसारी आदि भी आये। यह कॉन्फ्रेंस जिस स्थान पर हुई थी वहां आजकल नानकनगर स्थित है।
राजा महेंद्र प्रताप के चित्र का किया अनावरण
यह घटना 1927 की है जब गाँधीजी चौथी बार ब्रज में आये। राजा महेंद्र प्रताप द्वारा स्थापित प्रेम महाविद्यालय के प्रिंसिपल आचार्य गिडवानी के निमंत्रण पत्र गाँधीजी वृंदावन पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने उपदेश दिया और राजा महेंद्र प्रताप के चित्र का अनावरण भी किया।
जब खादी के प्रचार के लिए ब्रज पहुंचे गाँधीजी
यह गाँधीजी की अंतिम ब्रज यात्रा थी। 6 नवम्बर 1929 को गाँधीजी खादी के प्रचार के लिए मथुरा पहुंचे। उस अवसर पर वह पण्डित क्षेत्रपाल शर्मा के भवन में ठहरे थे। आचार्य कृपलानी उनके निजी सचिव के रूप में उनके साथ थे। मथुरा के गांधीवादी नेता हकीम ब्रजलाल वर्मन के साथ उन्होंने जनपद के कस्बों तक खादी के प्रचार का कार्य किया। 8 नवम्बर को गाँधीजी वृंदावन पहुंचे। उन्होंने गुरुकुल में एक सभा को संबोधित किया। परिक्रमा मार्ग स्थित पुराने कारेबाबू (रामकृष्ण मिशन) में एक कक्ष का उदघाटन किया। इस यात्रा में गाँधीजी गांवों में भी गए। उन्होंने गोवर्धन, राया, कारब, महावन, बलदेव, सादाबाद और कोसी आदि का भ्रमण भी किया।
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