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दो खामोश आंखें – 22

योगेन्द्र सिंह छोंकर
जाकर मुझ से दूर
न छीन पायीं
मेरा सुकूं
शायद
इसलिए  मुझसे 
दूर हो गयीं
दो खामोश ऑंखें
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