Site icon हिस्ट्री पंडित

दो खामोश आंखें – 16

योगेन्द्र सिंह छोंकर
सामने रहकर
न हुआ कभी
जिस प्यास का अहसास
उसे बुझाने
दुबारा कभी
मेरे पहलु में आएँगी
दो खामोश ऑंखें
Exit mobile version