योगेन्द्र सिंह छोंकर
जिनके होने का अहसास
है दिल का सुकून
जिनमे डूबने की हशरत
है मेरा जूनून
पल में
हँसाने और रुलाने वाली
खुद को खुदा
क्यों नहीं कह डालती
दो खामोश ऑंखें
जिनके होने का अहसास
है दिल का सुकून
जिनमे डूबने की हशरत
है मेरा जूनून
पल में
हँसाने और रुलाने वाली
खुद को खुदा
क्यों नहीं कह डालती
दो खामोश ऑंखें