नंदगांव यानी कृष्ण का गांव। यहां तो पग-पग पर कृष्ण के चिन्ह मिलने ही हैं। नन्दबैठक के पास ही है मांट। मांट यानी मटका। ये वही मटका है जिसमें किसी जमाने में यशोदा मैया दही को बिलोती थीं। दही को बिलोकर मक्खन निकाल कर कन्हैया को खिलाती थीं। यह मांट जमीन के भीतर बना हुआ एक विशाल पात्र है। इसे स्थानीय भाषा में ‘मांट बिलोमनी’ कहा जाता है।
ब्रज भक्ति विलास में मिलता है उल्लेख
इस मांट के बारे में नारायण भट्टजी द्वारा रचित ब्रज भक्ति विलास में उल्लिखित है :
कामसेनीसुताकार्यसुमिष्टदधिभाजनौ।
नमस्त्वमृतरूपाय देवानां मोक्षहेतवे ।।
अर्थात यशोदा जी के हे मधुर और अमृतरूपी दधिभाजन! आप देवों को भी मुक्ति देने वाले हैं। आपको नमस्कार है।
नौ लाख गायों के स्वामी थे नन्द बाबा
कहते हैं कि नन्दबाबा के पास नौ लाख गायें थीं। इन गायों से दूध भी भारी मात्रा में होता था। इस दूध से दही भी बहुत बनता था। इतने सारे दही को बिलोने के लिए पात्र भी बड़ा ही चाहिए। इस मांट का आकार बहुत बड़ा है। यह करीब ढाई फुट व्यास का सात फुट गहरा गोलकार है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस तरह के सात पात्र थे। मुरलिका शर्मा की रसीली ब्रजयात्रा पुस्तक में दो पात्रों का जिक्र है। फिलहाल नंदगांव में यह एक ही पात्र मौजूद है। लोग कहते हैं कि बाकी के छह मांट नष्ट होकर जमीन में दब गए।
मक्खन की चिकनाई आज भी होती है महसूस
मान्यता के अनुसार यह मांट द्वापरयुग का है। इतना समय बीत जाने पर भी इस पात्र में मक्खन की चिकनाई अब तक बनी हुई है। देख-रेख के अभाव में यह मांट अब बदहाल है। चारों तरफ आबादी ने इसे घेर लिया है। सफाई भी नियमित नहीं होती जिसके कारण यह कूड़े से अटा रहता है। इस सबके बावजुद भी इसकी चिकनाई बरकरार है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मक्खन की चिकनाई है।