अजमेर जिले के मसूदा ब्लॉक में एक गांव है जहां के आज के युग में भी कच्चे मकानों में रहते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि वे अपने चौदह पीढ़ी पहले के पूर्वज द्वारा भगवान देवनारायण को दिए वचन को निभा रहे हैं। पिछली पोस्ट में हमने बताया था कि अपने पिता की हत्या का बदला लेने के बाद देवनारायण जी सन्यास लेकर देवमाली स्थान पर आ गए थे। यह स्थान उनकी कर्मभूमि भी कहा जाता है। यहां रहते हुए देवनारायण जी ने लोककल्याण के कार्य किये। उन्होंने बहुत से चमत्कारपूर्ण कार्य किये। उन्होंने लोगों को असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाई। इसके बाद देवनारायण जी आजीवन देवमाली में ही रहे। देवमाली में रहने के कारण ही देवनारायण जी देवमालीनाथ कहलाये।
एक ही व्यक्ति की संतान है सारे गांववासी
देवमाली गांव में करीब तीन सौ घर हैं। सभी ग्रामीण गुर्जर जाति के हैं और इनका गोत्र है लावड़ा। दरअसल इस गांव के अदिपूर्वज का नाम था नादाजी। यह घटना सम्भवतः सत्रहवीं शताब्दी की रही होगी जब नादाजी को देवनारायण जी ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए थे। तब से नादाजी के वंशज इसी गांव में निवास करते चले आ रहे हैं। वर्तमान में अधिकांश ग्रामीण नादाजी की चौदहवीं पीढ़ी के हैं।
कच्चे मकानों में ही रहते हैं सभी ग्रामीण
इस गांव के सभी ग्रामीण कच्चे मकानों में ही रहते हैं। पक्का मकान बनाने के दो मुख्य अवयव चूना और सीमेंट का प्रयोग यहां नहीं किया जाता है। यही वजह है कि यहां के सभी मकान पत्थर और मिट्टी से बने हुए हैं। मकानों की छतें खपरैल की बनी हुई हैं। इस गांव में रहने वाले सभी व्यक्ति चाहे वो यहाँ के पूर्व जिला परिषद सदस्य हो या सरपंच सभी कच्चे मकानों में ही रहते हैं। ऐसा नहीं है कि यहां सभी लोग गरीब हों, यहां के बहुत से लोग खासे पैसे वाले भी हैं। लोगों के पास बिजली कनेक्शन, एलपीजी, पंखा, कूलर, फ्रिज आदि आधुनिक काल के उपकरण हैं। कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास महंगी कारें तक हैं पर रहते ये सभी कच्चे घरों में ही हैं।
केरोसिन ऑयल का नहीं करते प्रयोग
इस गांव में केरोसिन ऑयल का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। रसोई बनाने के लिए स्टोव हो या बिजली न आने की दशा में लालटेन हो, यहां केरोसिन प्रयोग नहीं किया जाता है। बिजली न आने पर ये लोग प्रकाश के लिए दिया भी सरसों के तेल का जलाते हैं। इसी तरह मांस और शराब का प्रयोग इस गांव में प्रतिबंधित है। इस गांव में शराब या मांस की न तो कोई दुकान है और न ही कोई व्यक्ति इनका सेवन करता है।
सारे गांव के मालिक हैं देवनारायण
देवमाली गांव के मालिक देवनारायण जी ही हैं। यह एक भावपूर्ण कथन ही नहीं बल्कि राजस्व दस्तावेजों की असलियत भी है। इसका गांव की कुल तीन हजार आठ सौ बीघा कृषि भूमि यहां के किसानों के नाम नहीं है बल्कि देवनारायण जी के नाम पर है। भूमि का स्वामित्व किसानों के नाम न होने के कुछ नुकसान भी हैं जैसे उन्हें कृषि ऋण जैसी सरकारी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं।
देवनारायण जी का मन्दिर
देवमाली में देवनारायण जी का प्रमुख मन्दिर है। कहते हैं कि यह मन्दिर देवनारायण जी ने स्वयं स्थापित किया था। नादाजी ने देवनारायण जी के दर्शन करके उन्हें चार वचन दिए थे। इन्हीं वचनों की पालना में आज भी नादाजी के चौदहवीं पीढ़ी के वंशज कच्चे घरों में रह रहे हैं। यहां के मंदिर में प्रतिमा के स्थान पर पांच ईंटों की पूजा की जाती है। यह देवनारायण जी का सबसे प्रमुख मन्दिर माना जाता है। आज जब भी कहीं देवनारायण जी का मंदिर बनाया जाता है तो जागती जोत और पूजा के लिए पांच ईंटें देवमाली से ही ले जाई जाती हैं।